मूल्य-आधारित और समावेशी शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण- डॉ सौरभ मालवीय
संस्कार युक्त शिक्षा, प्रचार प्रसार विद्या भारती का लक्ष्य - हेमचन्द्र
बस्ती। विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान आज देश के सबसे बड़े शैक्षणिक आंदोलनों में से एक है, जो गुणवत्तापूर्ण (गुणात्मक) और संस्कृति-युक्त शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। विद्या भारती मूल्य-आधारित और समावेशी शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में रत है। विद्या भारती का मूल उद्देश्य भारतीय संस्कृति, संस्कार और राष्ट्रीयता आधारित शिक्षा प्रणाली का प्रचार प्रसार करना है।
1952 में गोरखपुर में एक विद्यालय से प्रारंभ कर यह संस्था आज 684 जिलों में 12,118 विद्यालयों का संचालन कर रही है। उपरोक्त बातें डॉ सौरभ मालवीय, क्षेत्रीय मंत्री पूर्व उत्तर प्रदेश क्षेत्र ने सरस्वती विद्या मन्दिर रामबाग बस्ती में विद्या भारती गोरक्ष प्रान्त के प्रचार विभाग की एक दिवसीय कार्यशाला के दौरान आयोजित पत्रकार वार्ता में कहीं।
डॉ मालवीय ने कहा कि विद्या भारती के विद्यालय देश के अनेक दूरस्थ क्षेत्रों में स्थित हैं, इनमें जनजातीय इलाके और सीमावर्ती जिले शामिल हैं। भारत की सीमाएँ पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, चीन और म्यांमार से लगती हैं, और इन 127 सीमावर्ती जिलों के 167 विकास खण्डों में विद्या भारती ने 211 विद्यालय स्थापित किए हैं। इसके अतिरिक्त, संस्था देशभर में 8,000 से अधिक अनौपचारिक शिक्षा केन्द्र भी संचालित कर रही है, जो समाज के वंचित वर्ग को नि:शुल्क शिक्षा सुविधा प्रदान कर रहे हैं। वर्तमान में 35.33 लाख से अधिक छात्र- छात्राएं विद्या भारती के स्कूलों में अध्ययनरत हैं और उन्हें 1.53 लाख से अधिक शिक्षक शिक्षित कर रहे हैं।